Tuesday, January 12, 2010

अंगड़ाई मार डालेगी



नन्हें-नन्हें कन्धों पे हैं

बड़े-बड़े बस्ते लदे

बच्चों को ये महंगी पढ़ाई मार डालेगी



जाओगे
सुनार की

दूकान पे तो यार

तार हो या हार,सोने की घड़ाई मार डालेगी



मण्डल के बण्डल से

बच निकले तो हमें

मन्दिर-ओ-मस्जिद की लड़ाई मार डालेगी



और रामजी ने इन

सब से बचा लिया तो

नग्न-मल्लिका की अंगड़ाई मार डालेगी



5 comments:

विनोद कुमार पांडेय said...

बहुत खूब..कुछ संदेश देती,कुछ गुदगुदाती पंक्तियाँ...धन्यवाद अलबेला जी..

राजीव तनेजा said...

सबसे खतरनाक तो ये मल्लिका की अंगड़ाई ही है हुज़ूर

अमृत कुमार तिवारी said...

वाह!वाह! क्या बात है। अब तो ये रचना हिट हो गई।

Udan Tashtari said...

मतलब मरना तो तय है...

sunita said...

wah bhai wah kya likhte ho. Gajab hai